परिचय
अगर आपका बचपन ७० और ८० के दशक के बीच बीता है तो आप उन बाल पत्रिकाओं से पूरी तरह परिचित होंगे जो बच्चों और किशोरो के चरित्र निर्माण में सहायक होती थी। इन पत्रिकाओ का काम सिर्फ बच्चो का मनोरंजन करना ही नहीं होता था , ये बाल मन को पोषित करने के साथ साथ उनका मार्गदर्शन भी करती थी। इन पत्रिकाओ में चंपक , पराग , नंदन , सुमन सौरभ , टिंकल , लोटपोट मधु मुस्कान और चंदामामा अत्यंत लोकप्रिय रहीं।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के दैनिक जीवन में प्रवेश करने के कारण बच्चे पत्रिकाओ से दूर होते गए और टीवी सीरियल , कंप्यूटर , मोबाइल पर इंटरनेट एवं अन्य स्रोतो के मोहपाश में बंध गए। ऐसे में शिक्षाप्रद पत्रिकाओ की पूछ कम होती गयी और अंत में लुप्त ही हो गई।
उन पुराने दिनों को याद करने के लिए मैंने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को ही अपना माध्यम बनाया है , ये भी एक विडम्बना ही है। आज कुछ मैगज़ीन कवर्स को पोस्ट कर रहा हूँ जो दूसरी वेबसाइट एवं ब्लॉग से आभार सहित लिए गए हैं।
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